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बुधवार, जून 05, 2013

फिक्सिंग से घृणा होनी चाहिए , क्रिकेट से नहीं

क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग और कप्तान और खिलाडियों के रीति स्पोर्ट्स कम्पनी के साथ जुडी खबरों के बीच कल विश्व की छोटी की आठ टीमें आमने सामने होंगी । भारत अपना पहला मुकाबला द . अफ्रीका से खेलेगा । इन पिछले दिनों में जो कुछ हुआ उससे क्रिकेट के विरोधियों को उछलने का खूब मौका मिला । खिलाडियों का गुणगान करने वाला मीडिया हो, सोशल नेटवर्किंग साइट्स हों , सब जहर उगल रहे थे । क्रिकेट से होने वाली कमाई को लेकर सब आक्रमण कर रहे हैं । सबका एकमत है क्रिकेट खेल नहीं व्यापार है । 
                        इन बातों के विरोध में मैंने एक तर्क फेसबुक , ट्विट्टर पर दिया है, वाही विस्तार से यहाँ रख रहा हूँ । यूरोपीय फ़ुटबाल क्लब क्या है ? क्या वहाँ खिलाडी खरीदे बेचे नहीं जाते ? आज ही बार्सिलोना क्लब द्वारा एक खिलाडी को खरीदने की खबर मैं पढ़ रहा था । भारतीय क्रिकेटर उतना पैसा नहीं कमाते जितना गोल्फ के खिलाडी, टेनिस के खिलाडी, बास्कटबाल के खिलाडी, फ़ुटबाल के खिलाडी विश्व स्तर पर कम रहे हैं ? धोनी, सचिन की कमाई के किस्से सुनाने वालों ने क्या कभी फेडरर, नडाल, विलियम्स सिस्टर्स , टाइगर वुड्स, मैसी, बैकहम आदि की कमाई के बारे में सुना है ?
                      फिर कमाई करना क्या बुरा है ? एक खिलाडी कितने वर्ष खेलता है ? सचिन, द्रविड़ जैसे महानतम खिलाडियों को छोड़ दें तो बड़ी मुश्किल से दस वर्ष ? क्या उन्हें अधिकार नहीं कि वे इन दस वर्षों में अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें ? आखिर वे तेज धूप में खुले मैदान में पसीना बहाते हैं । हर खिलाडी को उसका हक मिलना चाहिए और उन्हें विज्ञापन द्वारा या मैच फीस के रूप में पैसे कमाने का पूरा अधिकार है । 
                        एक और बात जिसका विरोध जरूरी है कि सामन्य धारणा है की क्रिकेट ने अन्य खेलों को पनपने नहीं दिया । भारतीय मीडिया सिर्फ क्रिकेट की बात करता है अन्य खेलों की नहीं । यह सफेद झूठ है । क्या भारतीय मीडिया ने अभिनव बिंद्रा, सुशील कुमार विजेन्द्र, साइन नेहवाल, सानिया मिर्जा को सर आँखों पर नहीं बैठाया । रही बात हाकी की तो उसने कभी कोई तीर मार ही नहीं । ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई होकर अगर वे चाहते है कि उन सभी को भारत रत्न मिल जाएगा तो संभव नहीं । आप ओलम्पिक, विश्व कप में कोई पदक लाओ देश आपको भी सलाम करेगा । दरअसल पूजा नायकों को ही जाता है, क्रिकेट टीम भी जब कभी हारती है तो खूब आलोचना होती है , ऐसे में जीतने पर प्रशंसा मिलना भी स्वभाविक है । जिसका एक मात्र काम हारना हो उसकी चर्चा कौन करेगा ?
                         हाँ मैच फिक्सिंग का विरोध होना चाहिए । गलत काम की सजा होनी चाहिए लेकिन इसके लिए IPL  को दोषी ठहराना उचित नहीं । दरअसल यह तो मंच है युवा खिलाडियों के लिए । इसी मंच के कारण सचिन बेबी, संजू सैमसन , मनदीप सिंह आदि अनेक खिलाडी चर्चित हुए है हैं । इतना ही नहीं उन्हें विश्व स्तरीय खिलाडियों के साथ रहने का अवसर मिला है । ये बात और है की अंकित और अजित चंदेला जैसे खिलाडी इस सफलता को हजम नहीं कर पाए । भारत में यहाँ हर कोई भ्रष्टाचार में लिप्त है तब इनका भ्रष्ट होना अजूबा नहीं । जरूरत है तो इसे सजा देने की । जैसे पाप से घृणा की जानी चाहिए पापी से नहीं वैसे ही फिक्सिंग से घृणा होनी चाहिए , क्रिकेट से नहीं । 
                              भारतीय टीम भारत में चल रही उठा पठक से अनजान तो नहीं होगी, लेकिन खिलाडियों को अपना ध्यान खेल में लगाना होगा । सफलता हर जख्म भर देगी । उम्मीद है भारतीय टीम जीत से शुरुआत करके माहौल को बदलने का प्रयास करेगी । 

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